भाग 2: विधवा की गदराई जवानी
अंदर आ जाओ भाई... अंशु बोली...
मम्मी, मौसी के घर गयी हैं, मैं अकेली हूं घर पे। नहाने जा रही हूं, तुम बैठो, टीवी देखो...एक सांस में बोल गयी वो।
ठीक है, मैं धीमे से मुस्कुरा कर बोला।
मैंने अंदाज़ा लगाया कि आज छुट्टी है, पूरे हफ्ते बिजी रहने के बाद आज इस गदराई औरत को अपने जिस्म का खयाल रखने का टाइम मिला होगा। क्योंकि अंशु काफी फैशनबल और घमंडी औरत है, तो आज तो वो मौका नही छोड़ेगी।
12 बज रहे थे, काफी तेज धूप थी, हर तरफ सन्नाटा था,
मैंने इधर उधर देखा, कोई नही था, थोड़ा आगे बढ़कर उसके रूम की विंडो जो बाहर की तरफ खुलती थी, खुली हुई थी विंडो के बाहर पतली से गैलरी थी, जहां एक क्लॉथ स्टैंड रखा था, जो शायद अंशु का था, उस पर 2 पैंटी, 3 ब्रा जो सूख चुकी थी लटकी थी। मैंने खिड़की से अंदर झाँक कर देखा, कमरा खाली था, सामने किचन भी खाली था। खिड़कियों के बगल में ऊपर की तरफ एक रोशनदान था, जो बाथरूम का था। ध्यान से सुनने पर उसमे शावर की आवाज़ आ रही थी। मैंने इधर उधर देखा कोई नही था, गैलरी के सामने एक नीम का बड़ा पेड़ था, तो काफी आड़ थी, मैंने एक पैर गैलेरी की रेलिंग पर रखा, एक हाथ से खिड़की की रॉड को कस के पकड़ा, और रोशनदान तक पहुच गया, बहुत सावधानी से अंदर झांका, अंशु का सर दिखा जिस पर शावर से पानी गिर रहा था। और वो बालों पर शैम्पू लगा रही थी। मेरा दिल जोर जोर धड़कने लगा। मैंने दोनों पैर खिड़की के ऊपर रॉड पर रखे और रोशनदान की एक सरिया को कस के पकड़ा अब मेरा सर बिल्कुल रोशनदान पर था, इसमे एक एग्जॉस्ट फैन लगा था जो बन्द था। अब मैंने अंदर देखा, मेरा दिमाग भक्क से उड़ गया।
अंशु बिल्कुल नंगी नहा रही थी। 5 फ़ीट 5 इंच का इखेहरा मगर गदराया बदन, गोरा रंग, पूरे बदन पर एक भी बाल नहीं, बिल्कुल चिकनी चमकती गोरी गुलाबी जवानी, लंबे काले बाल, गुलाबी होंठ, बड़ी बड़ी चुचियाँ, हल्के भूरे रंग के बड़े निप्पल, जो बिल्कुल तने हुए थे। पतली सुडौल कमर, गोल नाभि, बिल्कुल चिकना गोरा कटी प्रदेश, चौड़ी कमर, फूली गोरी योनि, जिसके बीच मे थोड़ा सा खुले हुए योनि के होंठ। विशाल, चर्बी चढ़े गोरे चूतड़। जो काफी बाहर निकले थे। मोटी जांघे, पर सुडौल पिंडलियां।